इस दुनिया ने औरत को समझ क्या रखा है


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इस दुनिया ने आखिरकार

मुझ जैसी किसी औरत को

समझ क्या रखा है

कोई इस्तेमाल करने की एक वस्तु मात्र 

एक रास्ते का कांटा

एक पत्थर का बुत

जिसके न कोई दिल है

न उसमें धड़कती कोई धड़कन

उसके तो बस दो हाथ हैं जो

काम करने या दूसरों की सेवा करने के लिए हमेशा उठते रहने चाहिए

कभी जो अपने विरोध का स्वर ऊंचा करे तो

उसके वही दोनों हाथ बांधकर

हर तरफ से हाथ उठें

उसे बस मारने के लिए

पीटने के लिए

जी भरकर सताने के लिए।


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