इच्छाओं का अंत हो जाये तो
यह जीवन सरल हो जाये
सहजता के साथ फिर इसे कोई जी ले
इसके होने का अर्थ सार्थक हो जाये और
यह सफल हो जाये
जीवन को चलाने के लिए
जो कुछ हो अति आवश्यक
बस उसकी अभिलाषा की जाये
उससे अधिक के पीछे भागे तो
उम्र भर यह दौड़ कभी थमेगी नहीं
मन में कोई छोटी मोटी इच्छायें गर
जागृत हो जाये तो
उसका दमन न करके
उसे पूरा कर लें तो बेहतर है
शर्त बस इतनी कि
खुद में दम हो उन्हें पूरा
करने का
अपनी इच्छा पूर्ति के लिए
दूसरों से आस बांधना
और उन पर दबाव डालना
सही नहीं
इच्छा की उत्पत्ति और उसे
पूर्ण करने की एक
सीमा तय की जानी चाहिए
एक हद निर्धारित नहीं करी तो
यह एक अंतहीन, दिशाहीन
और समय नष्ट करती
एक दौड़ है
जिसकी मंजिल पर पहुंचने पर
कुछ भी हासिल नहीं होता
पीछे मुड़कर देखो तो फिर
जिंदगी के गुजरे पल भी हाथ में नहीं आ सकते।