सूरज जलता हुआ
दिखता है पर
उसका चित्त शांत होता है
उसके मन में असीम शांति भरी
होती है
उसकी देहरी पर प्रभु के दिव्य दर्शन स्वरूप
एक अलौकिक प्रकाश का
वास होता है
इन सबका कारण मात्र इतना है कि
वह अपना प्रकाश,
अपनी ऊर्जा,
अपना सर्वस्व दूसरों के कल्याण
के लिए न्योछावर करता है
वह अपने तन के दीपक को
जलाता है ताकि
इस सृष्टि के हर कोने से
अंधकार मिटाकर उसे
प्रकाशवान बना सके
जिस किसी में जीवन है
उसमें प्राणों की तरंग का
संचार कर सके
एक हवन कुंड सा है जो
जलता रहता हरदम
इस सृष्टि के कण कण के
कल्याण के लिए
अपनी आहुति देता निरंतर
पर सांस की लय उसकी कभी न
थमती
चेहरे पर रहता तेज
होठों पर मुस्कान और
मन में शांति
एक हिमालय की पर्वत श्रृंखला
पर जमी बर्फ की चोटी पर
साधना में लीन बैठे किसी
योगी साधु तपस्वी सी बसती।