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यह मौसम सर्द

मौसम सर्द है

बर्फ भी पड़ रही है

ठंडी हवायें चल रही हैं

घर की छत, पहाड़ियां, दरख्त,

जमीन की सतह आदि

बर्फ की सफेद चादर से ढके हुए हैं

झील, पोखर, तालाब,

नदी, नहर, नाले

इन सबमें बहते पानी के प्रवाह

थम से गये हैं

जल जम गया है और

एक दर्पण बन गया है

मौसम से उपजे

अंधकार को दूर करने के लिए

घर और घर के बाहर

रोशनी और अलाव जले हुए हैं

जमे हुए पानी के दर्पण में

सब अपना मुंह ताकने के लिए

ऐसा लग रहा है

जैसे थोड़े से झुके हुए हैं

हर तरफ खामोशी पसरी हुई है

घर के भीतर कोई तो होगा

पर खिड़की से झांकने पर

दिख नहीं रहा है

शायद इस कड़ाके की ठंड से

बचने के लिए

सब एक गर्म चादर

अपने सिर से पांव तक ताने

अपने अपने बिस्तरों पर पड़े हैं

यह खामोशी का बांध टूटे

यह मौसम सर्द से थोड़ा सा जो गर्म हो जाये  

मुंह से कोई बोल एक कोयल की कूक सा फूटे

किसी सुबह

पहाड़ियों के पीछे से 

जो उगता हुआ 

सूरज की किरणों की तपीश का साथ 

इस सर्द बदन को मिल जाये।