तुम चले गये
शेष रहा कुछ
मेरे साथ तुम्हारा तो
सिर्फ तुम्हारी यादें
तुम्हारे पद चिन्ह और
तुम्हारा सामान
जिंदगी भी
एक चाय की प्याली सी है या
यह कह लो किसी अमृत पान सी या
अपने मनभावन ही इसे पी रहे किसी
पेय पदार्थ सी
चाय की चुस्कियां
भरते भरते ही
जैसे बीच रास्ते ही सब खत्म हो
जाये
सब कुछ पूरा होने से पहले
अधूरा सा होकर
कमरे में बिछे बिस्तर के
सिरहाने ही निर्जीव अवस्था में
पड़ जाये
यह तुम्हारी किताबें
तुम्हारी ऐनक
तुम्हारा स्वेटर
तुम्हारा चाय का अधभरा कप
तुम्हारा कमरा
तुम्हारा घर
तुम्हारा परिवार
सब पीछे छूट गया
तुम अपने कमरे की खिड़की से ही
झांकते हुए बाहर
न जाने कहां
आसमान की तरफ
एक अलग ही किसी लोक में
आत्मा के परिंदे से ही
उड़ते हुए
प्रस्थान कर गये।