घर किसी को
घर सा न लगे तो
कोई कहीं कहां जाये
घर के बेटा और बहू
घर वालों के लिए एक तिनका भी नहीं तोड़ते लेकिन
घर में रहने के सारे अधिकार उनके होते हैं
मां बाप को जीते जी
एक नजर भरकर कभी देखते नहीं लेकिन
जमीन जायदाद, उनके बैंक बैलेंस, मां का जेवर, घर का कीमती सामान,
घर के भीतर आ रही हवा, जमीन, आसमान, पानी आदि सभी कुछ
उनका है
एक घर की बेटी जिसने सारी उम्र की अपने
मां बाप, परिवार, रिश्तेदारों आदि की सेवा
उसकी तो जीते जी सबने खोद दी कब्र मां बाप के न रहने पर
भाई भाभी और उनके बच्चों की आंखों में
वह हर पल खटकती है
बड़ी मायूसी से वह उसकी तरफ देखते हैं कि
वह अब तक जिंदा कैसे है
मर क्यों नहीं जाती
मर जाये तो रास्ता साफ
और उसके हिस्से पर भी हो उन सबका एकाधिकार।