उसकी मुस्कुराहट
एक गुलाब की खिलती
कली सी है
फूलों की बहार सी है
सूरज की किरणों की एक फुहार सी है
सारी कायनात उसके लबों की
मुस्कुराती गुलाबी रंगत से नहा
उठती है
गुलाबी हो जाती है
रोशनी के अंबारों से भर जाती है
उसकी खुशी मेरे सारे गमों को
हंसते हंसते
पी जाती है
वह मुस्कुराती है तो
मेरे दिल का कोना कोना
मुस्कुराता है
एक गीत वफा का,
मोहब्बत का,
इबादत का
गुनगुनाता है
भीगे हुए लबों से
मय में डूबी
कलियों के
सुरीले गले से
कंवल के बदन पर
फिसलते कदम से
उसके मुस्कुराते हुए
लबों को चूमते
हुए।