समय जब भी
थक हार कर लेटता है तो
करवट बदलता रहता है
यह खड़े-खड़े भी
अपनी स्थिति बदलता रहता है
यह बैठता है जब कभी तो
कई बार एक लंबे समय तक उठना ही
नहीं चाहता
समय बड़ा बलवान है
यह शांति भंग कर देता है और
अक्सर बिना बात किसी कमजोर से
लड़ना चाहता है
यह मुसीबत में बेसहारों का
मसीहा नहीं बनता
यह रुलाता ज्यादा है
हंसी के फव्वारे नहीं छोड़ता
समय जब हो खराब तो
दिन भी अंधकारमय लगता है
आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है और
एक सामान्य व्यक्ति भी
अंधे सा बर्ताव करता है
समय सबका सामान्य गति से
चलता रहे
किसी पर कभी बुरा समय न
आये
जब कभी ऐसा होता है तो
अपना साया भी अक्सर
साथ छोड़ देता है।