दिल धड़कता है
दिल की बगिया में फिर
एक फूलों का चमन खिलता है
कभी कभी फिर यह अचानक
एक दिन उजड़ भी जाता है और
दिल के हर कोने में दर्द
एक कांच के टुकड़े सा
चुभता है
यह दिल एक बादशाह सा
क्यों हो जाता है
कभी कभी एक फकीर या
किसी के गुलाम सा
अपना दिल है फिर भी
इस पर कभी कभी लगता है कि
खुद का बस नहीं
लाख समझाओ इसे कि
इस दुनिया की बातों का असर
खुद पर मत ले
न हो कभी खुश तो
कभी बहुत दुखी पर
यह भी है अपने मन का
मेरी कही कहां सुनता है।