सड़क यात्रा
रोमांचित करती है
कार या बस की खिड़की से
बाहर झांको तो
आंखों के सामने आ रहे
दृश्यों को
पल-पल बदलती है
गाड़ी के पहिये कभी
सड़क की चिकनी देह पर
फिसलते से जाते हैं तो
कभी एकदम से ही किसी
गड्ढे में धंस जाते हैं
कभी धूल का एक गुबार
उड़कर मुंह पर एक पाउडर की
परत सी चढ़ा देता है
कभी सड़क के गड्ढे में भरा
पानी छपाक से उछलकर
चेहरे को गीला कर देता है
रास्ते में हरियाली से,
पेड़ पौधों से,
चिड़िया से,
धूप से, बारिश से,
आसमान से, बादल से,
फूलों से, कलियों से,
हर किसी से मुलाकात होती है
चाय की दुकान पर
चौधरी के ढाबे पर
इस सफर के हर मुसाफिर से
मुस्कुराकर बात होती है
सफर हंसते गाते
गुनगुनाते
कुछ खाते पीते चबाते
गुजर जाये तो
यकीनन मंजिल को तो फिर
सामने खड़ा पाता ही है।