‘प्रमोद’
यह नाम तो मेरे पिताजी का भी था
जैसा नाम वैसा काम
उनके साथ जीवन बीता
घोर आनंद में
दुख तकलीफ को उन्होंने कभी
मेरे समीप फटकने नहीं दिया
प्रेम के हिंडोले में ही हमेशा मुझे
झूलाते रहे
कितनी भी विपरीत परिस्थितियों से जीवन भर जूझते रहे हों लेकिन
चेहरे पर कभी कोई चिंता की लकीर
ढूंढ नहीं पायेगा
कोई यह जान नहीं पायेगा कि
यह शख्स भीतर से
कहीं गहरे दुखी भी है
चेहरे पर हमेशा एक विजयी
मुस्कान ही फैलती दिखती थी
उनके
उस योद्धा ने कभी हारना नहीं
सीखा था
गुणों की एक खान थे वह
सोने का एक चमकता आभूषण
वह हर किसी को हमेशा प्रेरित करते थे उसका मन प्रसन्नता से भर देते थे
उसको जीवन के अनुभवों का
ज्ञान देते थे
एक असाधारण महापुरुष थे वह
वह कहते थे कि
जीवन को गंभीरता से मत लो
हंसते खेलते अपनी परिस्थितियों
से लड़ो और
सरलता से जहां पहुंचना
चाहते हो
वहां पहुंच जाओ।