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दर्द की इंतहा

दर्द की इंतहा

बेहद दर्दनाक होती है

यह जानलेवा होती है

यह घातक होती है

इसके बाद भी

जीवन मिले तो

यह किसी करिश्मे से कम नहीं

जिंदगी की किताब हो

बिना पन्नों की या

कोरे कागज की तो

यह क्या कम बात है

पन्नों पर कहानियां  

काली स्याही की लिखावट से

भरी पड़ी हों

बनती हों

बिगड़ती हों

कभी आग से जल जाती हों

तो कभी पानी संग बह जाती हों तो

यह जिंदगी की कहानी का

बनना

फिर उसका मिटना

उसके न होने से बेहतर है और

इसका होना कहीं ज्यादा दर्द देता है।