जब यह अच्छी तरह से तुम्हें
पता है कि
वह आदमी हर तरह से सही है तो
बार-बार, हर क्षण उसकी परीक्षा क्यों
लेते रहते हो!
उसे परखते क्यों रहते हो!
उसके आत्मसम्मान को ठेस क्यों
पहुंचाते रहते हो!
उसका पीछा भी नहीं छोड़ते,
उससे रिश्ता भी नहीं तोड़ते,
उससे अच्छा व्यवहार नहीं
करते,
उसे तंग करना बंद नहीं करते,
उसे अपना काम पड़ने पर
काम करवा लेते हो लेकिन
उसके कहीं काम नहीं आते!
उसे जिंदगी के किसी पहलू में
शामिल नहीं करते,
उस पर जब विश्वास नहीं है तो
उसका दामन हमेशा के लिए
क्यों नहीं छोड़ते या
जब यह भली भांति जानते हो कि
बुरे समय में एक वही है जो
हर तरह से आयेगा काम,
अच्छे समय में तो उसे ठुकरा
देते हो लेकिन
बुरे समय का तब भी है
वह साथी,
एक सजग प्रहरी तो
समय रहते उसे प्यार से
गले लगाकर
अपनाते क्यों नहीं हो!
अपना बनाते क्यों नहीं हो!
वह तो है तुम्हारा अपना ही
उसे फिर हर पल एक परायेपन का
अहसास कराते क्यों हो!