किसी मोरनी की तरह


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मेरी पायल है

बिना घुंघरुओं की लेकिन

मेरे जी में आ रहा है कि

इन्हें बांधकर अपने पैरों में

नाचूं जंगल में ही नाचती

किसी मोरनी की तरह

बिना आसमान

बिना बादल

बिना आंख

बिना काजल

बिना बारिश

छमा छम छमा छम

मेरे नृत्य का यह सफर

कहीं रुके नहीं

कभी थमे नहीं

बीच रास्ते कहीं रुककर

एक सांस भी न भरे

एक चक्र की तरह ही

अपने घाघरे को गोलाकार में

लहराता मेरे जीवन की तरंग

भरकर मन में एक

ताजगी भरी उमंग

लेकर अपनी परछाई को ही

बस संग

अंतिम श्वास तक

नाचती रहे।


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