मन भीतर से शांत हो तो
बाहरी दुनिया के शोर
तन मन को विचलित नहीं करते
मन का तार जोड़ लो
प्रभु से तो
मानवीय अत्याचार,
प्राकृतिक आपदाएं,
सामाजिक विडंबनाएं,
असामाजिक तत्व,
कोई भी अनहोनी,
कैसी भी विपदाएं, जटिलताएं, असफलताएं आदि
मन के पोखर के जल को
अशांत नहीं करती
प्रदूषित नहीं करती
अस्थिर नहीं करती
प्रताड़ित नहीं करती
दुख भरे आंसुओं के सैलाब से नहीं भरती
मन के मंदिर में
दीप जल जाये गर ज्ञान का तो
प्रकाशित करता है
अंधकार को यह दूर करता है
शांति का परचम चारों दिशाओं में
फैलाता है
एक आसमान की ही विशालता सा।