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समय के बहते दरिया के साथ

समय का एक दरिया है

यह तो बहता रहेगा

मैं एक लम्बे समय तक

इसके साथ बनी रहूं तो

अच्छा रहेगा

यह मंजिल तक पहुंचाता है

सफर भी तय करवाता है

कभी कभी हाथ छूट जाये तो

किनारे पर भी छोड़ देता है

कभी कभी अधिक रुष्ट हो जाये तो

अपने जल में भी डुबो देता है

अपने आगोश में समेट लेता है

इसका यह रौद्र रूप मुझे अच्छा नहीं लगता लेकिन

कोई क्या करे

नियति पर कभी किसी का जोर नहीं चलता

चलो छोड़ो यह सब

गंभीरता को दरकिनार कर

समय के इस बहते दरिया के साथ

फिलहाल खुश हो लेते हैं और

एक मछली से ही इसकी पीठ पर

बैठकर जहां तक यह ले जाये

सवारी कर लेते हैं।