यह कंगन
स्वर्ण धातु के
यह कंगन
हीरे मोती जड़े
यह कंगन
चमकते चांद की रोशनी से
यह कंगन
खनकती पायल के घुंघरूओं से
यह कंगन
एक तिलस्मी प्रेम के जाल से
पहनूं इन्हें जो अपने हाथों में
सज जाऊं एक दुल्हन के सोलह श्रृंगार सी मैं
उतरूं जो साजन के घर आंगन
पलकों से निंदिया चुरा लूं साजन की मैं
खनका दूं जो कंगना
महका दूं मैं सजना के प्रेम का अंगना
कंगना हिल हिल कर जो लश्कारे मारे
प्रेम अगन धड़काये
प्रेम की चिंगारी का तीर चलाये
पानी में आग लगायें ये कंगना।