हर अंत की एक नई शुरुआत होती है
कई बार खुद के लिए नहीं पर
हो सकता है दूसरों के लिए लेकिन
शुरुआत तो होती है
हर अंत के बाद
हर नई शुरुआत लेकिन
कोशिश की जानी चाहिए कि
पहले से बेहतर हो
कमियों को ठीक करती हुई
बढ़िया नतीजे देती हुई
मानवीय पहल जहां कहीं होती है
वहां आरंभ से लेकर अंत तक
नियंत्रण हो सकता है लेकिन
प्रकृति के संदर्भ में यह नियम
उतना सटीक नहीं है
यूं तो पतझड़ के बाद बहार का आना
तय है लेकिन
कितनी तादाद में और
फूल खिलेंगे कि नहीं
यह कहना एकाएक मुमकिन नहीं
किताब को पढ़ने के लिए
उसका पहला पन्ना खोलना
उस किताब को पढ़ने की दिशा में
पहला कदम है
आखिरी पन्ने तक उसे पढ़ना फिर
एक अंत
दूसरी किताब को पढ़ने के लिए हाथ में लेना
एक नई शुरुआत लेकिन
पहली किताब को दोबारा एक नये सिरे से
पढ़ना
एक अंत की ही
पुनरावृत्ति
एक बार पढ़ने से या
कुछ देखने से या
कुछ सुनने से
कोई बात ठीक प्रकार से कहां समझ
आती है तो
उसे दोहरा लेने में भी कोई बुराई नहीं
जब तक वह बात
पूरी तौर पर समझ न आ जाये
किसी के जीवन की भी तो होती है
शुरुआत और फिर उसका अंत भी
उसके बाद जो जिंदा रह गये
उनके जीवन में आते कितने
बदलाव और
उन्हें शुरु करनी पड़ती अपने जीवन
की एक नये सिरे से एक नई शुरुआत
जीवन का जिसके अंत हुआ
उसकी कहानी का नया रूप फिर
क्या होता
एक नया रंग
नया रूप या
नया जन्म लेकर फिर
उसके अंत की भी एक नई शुरुआत
होती
यह जरूर है कि
उस अपने को भी हम फिर
कहीं ढूंढ नहीं पाते
सामने पड़ने पर भी पहचान नहीं पाते
वह होता है कहीं पर
उसके अंत के बाद
उसकी जो होती है एक नई शुरुआत
उसे जान नहीं पाते।