परिस्थितियां बदलती है
मनुष्य का स्वभाव नहीं
स्वभाव अच्छा होना तो
अच्छी बात है पर
अगर यह है अहंकारी तो
इस अहंकार को तोड़ने की कोशिश की
जानी चाहिए
अहंकार तो किसी को अन्ततः
जड़ से उखाड़कर ही फेंक देता है
हो सकता है शुरुआत में यह सफल
होता दिखता हो लेकिन
इसका अंत हर तरह से बुरा और घातक होता है
एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है और
एक हंसते खेलते परिवार को
बर्बाद कर देती है
एक गुलिस्तान को कब्रिस्तान बना
देती है
चमन के सारे फूलों को रौंद देती है
किस्मत से एक आधा फूल कोई बचा
रह गया तो अब वह इस उजड़े चमन में
क्या करे
इस बदलाव को स्वीकार करे या
अस्वीकार
अस्वीकार करता है तो
क्या कोई दूसरा बेहतर विकल्प है
ऐसी कठिन परिस्थितियों में
अधिकतर को यही उत्तर मिलेगा कि
‘नहीं’
जिन्दगी जो मिलती चली जाये
उसे ही स्वीकार करते जाना
चाहिए
बहुत कम लोग ऐसे होते हैं
जिन्हें जिन्दगी उनके मन
मुताबिक मिलती हो
जिन्दगी ज्यादातर हर समय
बेहतर विकल्प उपलब्ध नहीं भी
कराती है
कितना भी कठिन समय हो जो
जीवन में बदलाव लाये को
सरलता और सहजता से अपनाने में ही
भलाई है
धैर्य रखकर उसी में से कोई
सही रास्ता खोजें
खामोश रहें
उत्तेजित न हों
थोड़ा सा धीरज धरें
अपने लक्ष्य को भेदना पर
कभी न छोड़ें
सही रास्ते चुनें
अपनी मंजिल पर निगाहें टिकाये
रखें
अपने को व्यस्त रखें
अपना कीमती समय बेकार की
बातों में बर्बाद न करें
कम करें या अधिक करें पर
प्रतिदिन कुछ न कुछ
अपनी क्षमता के अनुसार कार्य करें
ऐसा करते रहे जो लगातार तो
हो सकता है
समय और समाज आपका समर्थन करने लगे
और आप खुद को परिस्थितियों के
अनुकूल ढाल लें
बदलाव तो आते ही रहेंगे पर
उन्हें तेजी से स्वीकारते हुए
बहुत तेजी से उनके साथ कदम से
कदम मिलाकर सही दिशा में बढ़ने का
साहस फिर कर सकें।