आज के युग में
आज के समय में
आज की तारीख में
बुद्ध तो हर किसी को होना चाहिए
बुद्ध बनने के लिए यह आवश्यक नहीं कि
कोई अपने महल चौबारे छोड़े
अपनी पत्नी, बच्चों या परिवार का
त्याग करे बल्कि
अपने कर्तव्यों का पालन
करते हुए
वह बुद्ध के दिखाये मार्ग पर
चले और
अपना जीवन निर्वाह करे
आजकल अधिकतर लोग
भौतिकतावाद की दौड़ में
इस कदर अंधे हो गये हैं कि
वह स्वयं को देखने का भी
समय नहीं निकाल पा रहे
प्रकृति की सुंदरता को भी
निहार नहीं पा रहे
एक अच्छा, मूल्यवान, गुणकारी,
कल्याणकारी, सरल
सौम्य, शुद्ध, विकारों रहित,
मानवीय संवेदनाओं से भरा
जीवन नहीं जी पा रहे
आडंबर के जाल में बुरी तरह
फंसे हुए हैं
सब कुछ खोकर
न जाने क्या पा रहे हैं
क्या बांधकर साथ ले जायेंगे
प्रीत की डोर को भी तो यह
अपने हाथों से काट रहे
एक हिंसक पशु सा अमानवीय
व्यवहार कर रहे
मानवता को भी हर पग पर
शर्मसार कर रहे
बुद्ध को सब कुछ विरासत में
मिला लेकिन
उन्होंने यह सब ऐशो आराम
शानो शौकत
भौतिक सुख त्यागकर
सत्य की खोज करने का मार्ग चुना
हम में से कोई बुद्ध तो पूर्ण रूप से
नहीं बन सकता लेकिन
स्वयं के उत्थान के लिए
बुद्ध का एक अंश मात्र बनने का
प्रयास तो किया ही जा सकता है।