एक चिड़िया ख्यालों और ख्वाबों के परों वाली
तुम नहीं जानते कि
मैं एक चिड़िया हूं और
वह भी ढेर सारे पंखों वाली
तुम्हें मैं तो दिखती हूं पर
मेरे पंख नहीं दिखते
तुम्हें देखा जाये तो
मैं भी पूरी नहीं बल्कि
अधूरी दिखती हूं
मैं जो दिखती हूं
वह मैं हूं नहीं और
जो तुम सोचते हो
वह मैं हूं नहीं
कोई क्या जानेगा मुझे या इसे या उसे
मैं खुद नहीं जानती कि
मैं कौन हूं
दिल की गहराइयों में उतरूं तो भी
अपनी आत्मा के द्वार खोल नहीं पाती
असमर्थ सा महसूस करती हूं
जीवन के बहुत से बिन्दुओं पर कभी
खुद को लेकिन
समर्थ हूं जब लगा लेती हूं
अपनी देह पर असंख्य पंख और
कल्पनाओं की उड़ान भर
सपनों में
इस दुनिया के कोने कोने में
आसमान के पार भी कहीं
समुन्दर की गहराइयों में
दीवार पर पड़ती अनगिनत
परछाइयों में
विचर लेती हूं और
पा लेती हूं थोड़ा सा संतोष जो
मेरे लिए काफी है
लोगों को शायद कम लगता हो
मैं एक चिड़िया सी बनकर
कहीं सच में
जमीन के धरातल से
आकाश की तरफ उड़ने की कोशिश
करूंगी तो
थोड़ी सी उड़ान भरते ही
गिर पड़ूंगी
दुनिया के लोगों की बुरी नजर मुझे
लग जायेगी
मैं खुद ही अपने कानों के पीछे
काजल का काला टीका लगाकर
खयालों के पंख लगाकर
एक अदृश्य रूप में ही उडूंगी और
हमेशा ही ऐसा करूंगी लेकिन
उनका प्रमाण प्रस्तुत करूंगी
सबके समक्ष
अपने कार्य के रूप में
जो कुछ मैं जीवन में हासिल
कर पाई
उस पर बस मेरा अधिकार नहीं
होगा बल्कि
उसमें सबका योगदान होगा और
वह मेरी तरफ से
मेरे अदृश्य पंखों में लिपटा
उन सबके लिए एक बहुमूल्य
उपहार होगा
एक चिड़िया ख्यालों और
ख्वाबों के परों वाली खुशी से
चहक उठेगी गर
उस उपहार को खोलकर
हर कोई कुछ पल को सही पर
प्रसन्न हो जाये तो।