वह आये तो
फिजा पर एक गुलाबी रंगत छा गई
मेरे गाल शर्म से गुलाबी हो गये
मेरे बाग के सफेद फूल भी
इश्क के नशे में सराबोर
एक गुलाबी झीनी झिलमिलाती
परत लहराते
खुशी से खिलकर
शराब में नहाये
अपने चेहरे पे गुलाबी गुलाल
मलकर
सफेद से गुलाबी गुलाब हो गये
दिशाओं को भ्रमित करते
हवाओं को सुगंधित करते
वह तो सुबह के आफताब और
रात के चांद हो गये
रंग तक बदल गया
रूप तक बदल गया
यह तो अभी खड़े थे
अभी चल पड़े और
डगमगाकर गिर गये
यह किसके स्वागत में
स्वागत द्वार तक चले कि
अपने साथ फूलों की बहार
लेकर चले
प्यार की खुशबू में नहाये
आज खुश हैं इतने कि
खुद को भुलाकर
प्यार भरे हैं जिनके दिलों में
उन्हें तलाशकर
उन्हें गुलाबी गुलाब के फूलों के
गुलदस्ते उनके कोमल
गुलाबी सुगंधित हाथों में
थमाने चले।