एक सुनसान रास्ते पर
खड़ा हूं
मंजिल कहीं दिखती नहीं
हमसफर कोई साथ नहीं
मंजर भी हसीन नहीं
कंधे पर अपने गमों का बोझ
एक लंबे समय से लादे हुए
मैं अब आगे बढ़ पाने में
खुद को असमर्थ पा रहा हूं
मैं हतोत्साहित हूं
मैं हर तरह से
हर तरफ से
खुद से और
सबसे परेशान हूं
जिन्दगी अब मैं
सच कहूं तो
थक चुका हूं
मैं अपाहिज नहीं
पांवों में मेरे ताकत है
मैं चल सकता हूं
जिन्दगी अभी खत्म नहीं हुई
मैं अभी भी आगे बढ़ सकता हूं
मेरे मन मुझे कुछ अच्छा पाठ
पढ़ाओ
कुछ अच्छा ज्ञान दो
कुछ अच्छा सबक सिखाओ
कोई तो आसपास मेरे
एक अदृश्य शक्ति सा हो
जो मुझे रूहानी ताकत दे
मेरा हाथ पकड़कर मुझे आगे की
तरफ खींचे
रुकी हुई मेरी टांगों को
पीछे से धक्का दे
मैं ठहर गया हूं
मेरे जिस्म का पुर्जा पुर्जा
जाम हो गया है
मैं दुविधा में हूं
मैं संकोची स्वभाव का हूं
मैं विपरीत और विषम परिस्थितियों की बेड़ियों
में इस समय जकड़ गया हूं
यूं तो मुझे यह अच्छे से पता है कि
यह बुरा वक्त भी गुजर जायेगा और
अच्छे पलों को फिर से वापस
मेरी जिन्दगी में लायेगा लेकिन
समय अच्छा हो या बुरा
जिन्दगी के किसी मोड़ पर
खुद को रोक देना तो
कोई अच्छी बात नहीं
समझदारी नहीं
एक सही निर्णय नहीं तो
समय कैसा भी हो
मुझे मेरे मन को उठाना है
आगे की तरफ खुद को
बढ़ाना है
पीछे अपने कदमों को बिल्कुल नहीं
हटाना है
खुद को पीछे नहीं धकेलना है
आगे की तरफ धक्का देना है
हौले हौले सही
आहिस्ता आहिस्ता सही
धीमे धीमे सही लेकिन
एक मंद गति से आगे की दिशा में
बढ़ते जाना है
अपनी पूरी ताकत झोंक देनी है
मंजिल की चिन्ता किये बिना
सामने जो रास्ते पड़ते जायें
उन पर चलते जाना है।