यह हमारा एक खुशहाल
परिवार है
हम दो और हमारे दो
सूरज सा बेटा और
चांद सी बिटिया
हर दिन
सुबह जो सूरज
पेड़ों के झुरमुटों के पीछे से उगता है तो
हमारे घर का पता पूछता है
वह घर
वह परिवार
जहां खुशियों का बसेरा है
हर किसी के चेहरे पर
मुस्कुराहटों का डेरा है
गम की एक लकीर नहीं
संशय की कोई परछाई नहीं
तन्हाई की कोई रुसवाई भरी रुबाई नहीं
रात का चांद भी
खिड़की से उतरकर
हर रात्रि
शयनकक्ष में आता है और
एक सुरीली लोरी गाकर
घर के बच्चों को
गहरी नींद सुनाता है
सुबह की मधुर हवा का संगीत
कानों में झुनझुना बजाकर
उन बच्चों को जगाता है
उन्हें सैर कराने
उनके मां बाप के साथ फिर
फूलों की घाटी में उनका हाथ पकड़कर ले जाता है
मां अपने बेटे को
खेलते हुए उछालती है
एक गेंद की ही भांति
आकाश की तरफ
मैदान से थोड़ा सा ऊपर और
सारा परिवार इस क्रीड़ा से
हो उठता है अति प्रसन्न
सूरज अपना सिर
उचकाकर फिर भरसक प्रयत्न
करता है
उस परिवार को देख उनकी खुशियों में
शरीक होने की।