जीवन का रंगीन होना
मुझे अच्छा लगता है लेकिन
होली पर
रंगों से खेलना
न बाबा न
बचपन से ही
मुझे रंगों से खेलने से
परहेज रहा
इसके पीछे क्या कारण हो
सकता है
यह तो मुझे भी नहीं पता
शायद हो सकता है
मेरी संजीदगी
एक सादगी पसंद स्वभाव और
अति से अधिक
संवेदनशीलता लेकिन
अरे सुनो मैं इतनी बोर भी नहीं
लोग रंगों से खेलते हैं तो
मुझे सच में
दिल से बहुत अच्छा लगता है
होली के अवसर पर
रंगों में नहाये जब
सब थिरकते हैं होली के गानों पर
तो शोले की बसंती और
रंग बरसे के अमित जी तो
याद आ ही जाते हैं
अपने बचपन के दिनों की
यादें भी जेहन में
फिर ताजा हो जाती हैं
उन टेसू के फूलों की तरह
जिनसे हम बच्चों की टोली
अक्सर होली खेला करती थी
खुद भी खेलते थे और
आयें जो मेहमान
घर के दरवाजे पर
होली की बधाई देने
नहा धोकर
साफ सुथरे कपड़े पहनकर
उन्हें टेसू के फूलों के
पानी की रंग भरी पिचकारी से
दोबारा से होली के रंगों में
सराबोर करके अच्छे से
नहला दिया करते थे
तो होली पर
हम शरारती बच्चे
अपने घर आये
मेहमानों का
ऐसे दिल खोलकर स्वागत किया
करते थे।