लेकर चलो मुझे
अपने साथ
न छोड़ना कभी
एक पल के लिए भी
मेरा हाथ
तुमसे ही तो
मेरे जीवन की सारी खुशियां
सारे सपने
सारे खेल
तुम नहीं जो मेरे पास तो
यह समय लगेगा एक कुचक्र
बचपन लगेगा एक बोझ और
यह जीवन लगेगा एक कठोर कारावास
एक चारदीवारी में बंद
दम घोटती एक जेल
तुम्हारा दामन कभी न छूटे
तुम्हारा साया भी मुझसे कभी न रूठे
मैं एक बच्चे सी ही बनी रहूं
सारी उम्र
मेरे बचपन का मोह
मेरा जन्मदाता
मेरा पालनहार
मुझसे कभी न छूटे
मेरी आज ईश्वर से यह प्रार्थना है कि
मैं अपने बचपन के दिनों में लौट
आऊं
अपने पिता को अपनी आंखों के
समक्ष पाऊं
उन्हें छू पाऊं
उन्हें देख पाऊं
उनकी अंगुली पकड़कर
दूर कहीं
सैर करने के लिए
एक सूनी सड़क पर
बस उन्हें और
उनका प्यार साथ लिए
निकल पाऊं।