कितना भी
मन को समझा लो कि
अतीत को पीछे छोड़ दो
वर्तमान में जियो और
भविष्य के सपने देखो लेकिन
क्या एक प्यार करने वाले और
फूल से ही कोमल किसी मन के लिए
यह संभव है
वह वर्तमान में दिख रहा है लेकिन
उसका वास अभी भी
अतीत की परछाइयों के साथ ही है
भविष्य पर उसका ध्यान केंद्रित है लेकिन
उसकी आंखें अतीत की परछाइयों में
अपनों को
उनके प्यार को
उनके साथ को ही
तलाशती रहती है
अतीत की परछाइयां गर साथ न रही तो
जीवन में अंधेरा भर जायेगा
यह तो होती हैं
एक प्रकाश पुंज सी और
दिखाती हैं उम्मीद का एक
रोशन सवेरा
जिसका दामन थामकर ही
आगे बढ़ा जा सकता है
अतीत की परछाइयां तो
हरदम साथ चलता एक
साया है कि
वह नहीं तो
बस फिर कोई लाख चाह लेना पर
मैं नहीं।