मेरे आंसू
सिर्फ और सिर्फ
मेरे हैं
मेरा दिल मेरा है
मेरे दिल में जो होता है दर्द और
तड़पता है मन
वह मेरा है
मैं किसी को याद करती हूं
उसके लिए रोती हूं
आंखों से अब तो आंसू निकालती भी नहीं
उन्हें अंदर ही अंदर खींचकर
पी लेती हूं
आंखों में मेरी अब वह पहली वाली
चमक नहीं
उनका रंग बदल गया है
अब वह एक सफेद मोती सी नहीं
दिखती बल्कि
उन पर एक पीली परत चढ़ चुकी है
वह एक रात के सितारे सी
किसी झाड़ी में दिखते जुगनुओं के नजारे सी
नहीं टिमटिमाती
वह धूमिल पड़ चुकी हैं
उनमें जलते थे जो दीये वह अब
बुझ चुके हैं
आंखों के नीचे काले घेरे हैं
इन्हें गौर से देखो तो यह सूजकर
मक्की के दाने सी फूली हुई दिखती हैं
बहुत कुछ देख चुकी है
मेरी यह दोनों आंखें और
यह बहुत ही भली भांति सीख चुकी हैं कि
अपने आंसू बस अपने लिए होते हैं
इस बेरहम दुनिया को दिखाने के लिए
नहीं
किसी बात पर रोना आये
बार बार आये तो
मन ही मन में खूब रो लो
अपनी आंखों को आंसुओं की
बारिश से भीगो लो लेकिन
उन्हें किसी को दिखाओ नहीं
अपने दिल का हाल
भूले से भी किसी को बताओ नहीं
दर्पण को भी खुद का चेहरा
दिखाओ तो मुस्कुराता हुआ
नहीं तो वह भी टूटकर बिखर
जायेगा
इतने भयावह आपके दुखों के
पहाड़ के नीचे दब जायेगा
उसके भार को सहन नहीं कर
पायेगा
बेचारा बिना बात मर जायेगा।