विवाह
एक प्रेम का पावन बंधन है
यह दो दिलों को जोड़ता है और
दो परिवारों को भी आपस में
एक दूसरे से मिलवाता है और
हमेशा के लिए एक रिश्ते की डोर से
उन्हें बांधता है
विवाह लेकिन करो तभी जब
उसे निभा सको अन्यथा नहीं
वर वधू को केवल एक दूसरे का
हाथ उम्र भर के लिए नहीं थामना बल्कि
एक दूसरे के परिवारों को भी
पूर्ण रूप से समर्पित होकर अपनाना
चाहिए
आजकल विवाह की भी
दोनों पक्षों को जल्दी रहती है
बिना सोचे समझे किए
ऐसे शुभ कार्यों का अंजाम पर फिर
दुखद होता है
जितनी जल्दी यह रिश्ता जुड़ता है
उससे जल्दी फिर कई बार
टूट भी जाता है यानी
दोनों के बीच लड़ाई झगड़े
मनमुटाव
तनाव
अशांति
मार पिटाई आदि
एक दूसरे से पहले अलग
होना फिर
तलाक तक हो जाना
यह सब आम बात हो गई है
कारण जो भी हो
समस्या जो हो
उसका समाधान करें
विवाह से पहले ही
जो कुछ कहना है
साफ साफ कहें
कुछ छिपायें नहीं
बाद में नतीजे कुछ अच्छे नहीं
निकलते
विवाह सोच समझकर करें
एक दूसरे को थोड़ा समय दे
जानने का
समझने का
जब लगे कि इस रिश्ते को
ठीक प्रकार से चला पायेंगे तभी
विवाह करें अन्यथा नहीं
जल्दबाजी न करें
विवाह को कोई खेल न समझें
इसे गंभीरता से लें और
जब भी करें तो
पूरी निष्ठा से प्रेमपूर्वक इस
पवित्र रिश्ते को निभायें।