चांदनी रात है पर
चांद का कहीं न साथ है
आसमान पर चांद खिला है लेकिन
मेरे दिल का चांद कहीं डूब गया है
चांदनी रात में
आसमान के चांद के साथ
एक सफर पर निकली हूं मैं
बिना अपने चांद के
उसकी खोज में
मेरा सफर भी मंजिल की ओर बढ़ रहा है पर
मेरा चांद मुझे कहीं न दिख रहा है
न मिल रहा है
न कहीं मेरे पास है
मैं उससे मिलने की उम्मीद को खोती जा रही हूं
मेरा चांदनी सा बदन भी देखो जैसे
कहीं डूब रहा है
मैं अपने चांद को पा रही हूं
उसकी बाहों में समा रही हूं
उसके आगोश में हमेशा के लिए
कैद होने के लिए
एक अपनी ही नई दुनिया के सफर पर फिर से
कहीं जा रही हूं।