किसी की जीवन रूपी यात्रा का
अंतिम पड़ाव आ जाये और
उसे यह अहसास भी हो कि
उसका अब अंतिम समय आ गया और
इस अहसास को वह सबके समक्ष
अपना मुंह खोलकर बताने की हिम्मत भी
जुटा पा रहा हो तो
यह दृश्य कितना दुखद है
कितना मार्मिक है
कितनी अनगिनत संवेदनाओं से भरा है
कैसी त्रासदी होती होगी
जब किसी के भीतर
एक भावनाओं का
अनकही बातों का
अधूरे सपनों का
एक सागर भरा होता होगा और
वह अपनी यात्रा के अंतिम छोर
पर खड़ा
सब कुछ किसी को कह डालना
चाहता होगा लेकिन
कह नहीं पाता होगा
इतनी ताकत ही नहीं बचती होगी
उसमें
जो थोड़ा बहुत कुछ
कहता होगा
उसे कोई सुनना नहीं चाहता होगा
कोई समझना नहीं चाहता होगा
वह जा रहा है
लेकिन उसे कोई रोकना नहीं
चाह रहा होगा
जीवन की यात्रा के इस
अंतिम पड़ाव पर उसे
बहुत सी बातें जो जीवन भर
समझ नहीं आईं थी वह आती हैं
लेकिन इतने सच जो एक के बाद एक
उजागर हो रहे हैं
उन्हें जानकर भी वह अब कर
क्या पायेगा
उसके इस संसार को छोड़कर जाने का
किसी को एक पल का अफसोस भी नहीं
यह सबसे बड़ी सच्चाई है लेकिन
वह मजबूर अपनी यात्रा के अंतिम छोर को
छोड़ता हुआ अपने जीवन से हारता हुआ
आखिर कर ही क्या सकता है।