यह एक ऐसी
प्रेम कहानी है जो
काल्पनिक है
जो प्रेम कहानी पूरी न हो पाये
अधूरी रह जाये
एक सच बनकर दुनिया को दिख न
पाये तो फिर
वह मात्र एक कल्पना बनकर ही
रह जाती है
प्रेम के गुब्बारे की हवा भी
समय के साथ
आहिस्ता आहिस्ता निकल ही जाती है
प्रेम को लेकर बैठे रहो लेकिन
प्रेमी जो एक बार बिछड़ा तो
कभी आंखो के सामने पड़ता ही नहीं
दिखता ही नहीं
मिलता ही नहीं
जिंदा होते हुए भी
न मिलने की कोशिश
करता है
न ही याद करता है
अपने जीवन में सुखी होता है
इस तरह की प्रेम कहानियों में
प्रेम होता कहां है
एक तरफा हो
और दोनों में से जिसे हो
वह तो प्रेम के भंवर में फंसा ही
रहता है
दूसरा जिसने इस प्रेम कहानी की
शुरुआत की होती है
खुद के प्रेमी होने के बड़े बड़े दावे ठोके
होते हैं
जीने मरने की कसमें खायी होती हैं
वह तो एक झटके में ही फिर
प्रेम कहानी का एक अहम
किरदार होते हुए भी
पूरी तौर पर नदारद होता है
प्रेम कहानी में जिसे प्रेम
होता है
वह इंतजार ही करता रह
जाता है
समय सब कुछ पीछे छोड़कर
इतना आगे निकल जाता है कि
वह न पीछे लौट सकता
न प्रेम को पा सकता
न ही उसे भुला सकता
न अपनी प्रेम कहानी के बारे में
किसी को कुछ बता सकता
कल्पना की उड़ान भरता हुआ
वह अपनी बीती हुई प्रेम कहानी को
बस अपनी यादों में
ख्वाबों में और
खुद से ही करती हुई बातों में ही कहीं
बस कुछ पल के लिए
थोड़ा बहुत
जी सकता है।