परिवार
वह संगठन होता है जहां
प्यार हो
मान हो, सम्मान हो
आपको सहर्ष स्वीकारा जाता हो
न कि मारा जाता हो और
दुत्कार जाता हो
परिवार तो प्रेम की चाशनी में लिपटी
वह मिठाई है जिसे सारी उम्र खाते रहने को
जी चाहता है
उसके स्वाद से या उसके कोई बदलाव न होने पर भी
उससे मन नहीं उकताता
परिवार में चाहे हो जाये
कभी कभार लड़ाई झगड़े
मारपीट
मनमुटाव
गाली गलौज
धक्का मुक्की
यहां तक कि अलगाववाद और
खामोशी का एक लंबा गहरा पहरा भी लेकिन
रिश्तों में कड़वाहट इतनी नहीं बढ़नी चाहिए कि
उनके टूट कर हमेशा के लिए बिखरने की नौबत आ
जाये
परिवार को चलाना है तो
कई तरह के समझौते करके
सिर झुकाकर
खुद को समर्पित करके
चुप रहकर
अनदेखी करके
सबको साथ लेकर चलना पड़ता है
बिना किसी भेदभाव के
यह रिश्तों की एक बेहद पतली और नाजुक
डोरी है जिस पर सब को चलाना है
कहीं थोड़ी सी भी भूल चूक हुई नहीं कि
एक लाइन में चलते परिवार के सभी सदस्यों में से
सारे या उनमें से कोई डगमगाकर
नीचे की दिशा में जमीन पर पटक
खाकर गिर जायेंगे और
बहुत गंभीर चोट खायेंगे।