मैं कुछ और नहीं बस
यादों का एक जीता जागता पुतला हूं
हर पल जो गुजरता है
वह एक याद बन जाती है
उनको मैं अपने आगोश में समेटता हूं और
संभाल कर रखता हूं
यादों के सहारे ही मैं तो जीता हूं
अपनी जिंदगी बसर करता हूं
यादें न हों तो मैं एक शून्य हूं
यादें हैं संग मेरे तो मैं एक शतक हूं
यादों बिन मैं एक पंख कटा छटपटाता हुआ परिंदा हूं
यादों के परों के साथ मैं एक आजाद
आसमान में पंख फैलाकर उड़ता
हौसले से भरा एक यादों का ही पुलिंदा हूं
मैं एक मिट्टी का घर हूं
यादों की गीली मिट्टी से लिपा
रोज इस घर को इसी तरह से लेपा जाता है तभी
यह एक सुंदर यादों का रहने योग्य बसेरा बन
पाता हैं
यादों की चिड़िया तुम बेझिझक आओ और
मेरे घर के आंगन की पेड़ की डाल पर बैठ जाओ
और फिर यहीं बसेरा कर लेना
मुझे बहुत खुशी होगी
मुझे बेसब्री से तुम्हारा इंतजार रहेगा
इस निर्णय को तुम मेरी सराहना और
समय रहते मुझ पर विश्वास
कर लेना।