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रेलगाड़ी

रेलगाड़ी

और रेलवे स्टेशन

इस दुनिया की सबसे खूबसूरत

चीज

रेलवे स्टेशन की

बेंच पर

इत्मीनान से

पैर फैलाकर बैठ जाओ

हाथ में चाय की गरमा गरम

प्याली पकड़कर और

इंतजार करो

कभी दाएं तो कभी बाएं से

आने वाली रेलगाड़ियों का

छुक छुक करती

धुआं उड़ाती

सीटी बजाती

रेलगाड़ी आयेगी

कभी स्टेशन पर रुकेगी तो

कभी तेज गति से

आंखों में धूल झोंकती

पलक झपकते ही

एक जीवन के पर्दे पर

चल रही किसी कहानी के दृश्य की

तरह ही

पल भर में बदल जायेगी

रेलगाड़ी का सफर भी

बेहद रोमांचक होता है

नये नये चेहरे देखना

मनोहारी दृश्य

जानी अंजानी सी आवाजें

सुनना

इतने शोरगुल में

सफर की मंजिल को

पाते हुए

खुद की तलाश भी पूरी

होती है

कोई हमें पहचानता नहीं

कोई हमारी दुखती रग को

छेड़ता नहीं

कोई हमारे दर्द के तार को हिलाता

नहीं

कोई हमारे एकांत में खलल

डालता नहीं

चाहो तो कोई अखबार,

मैगजीन या नॉवेल पढ़ो

चाहो तो सब्जी पूड़ी खाओ

चाहो तो कोल्ड ड्रिंक पियो

चाहो तो चना, मूंगफली

आदि चबाओ

किसी बात पर कोई टोकता नहीं

बेंच पर कभी लेट जाओ तो

कभी खिड़की के पास

बाहर झांकने के लिए

सरक आओ

कभी चलती ट्रेन में

इधर से उधर टहल आओ

कभी वॉश बेसिन के पास

शीशे में जाकर

अपना चेहरा निहार आओ

अपने बाल संवार आओ

कभी यात्रियों की

तरह तरह की गतिविधियां

देखो

उनके भाति भाति के

वार्तालाप सुनो

उनके अपने अपने शहरों और

गांवों के किस्से सुनो

कभी पंचायत जोड़ो

कभी एक चौपाल सी

कभी रेडियो पर कोई गाना

सुनो

कभी दिल का हाल भी

सबको कह लो

कभी कोई खेल खेलो

कभी राजनीति के

गर्म मुद्दों पर बहस छेड़ दो

यह रेलगाड़ी

रेल की पटरियों पर दौड़ती

इतना गुदगुदाती है

इतनी मस्त है कि

मुझे तो बहुत ही ज्यादा

लुभाती है

कितना भी लंबा हो

सफर

मैं रेलगाड़ी के सफर से

कभी परेशान नहीं होती

कभी मन हो बेहद परेशान

और समझ न आये कि

कोई जाये कहां तो

रेलवे स्टेशन की

किसी बेंच से बढ़िया

कोई जगह नहीं होती।