आकांक्षा
एक मित्र की तरह
होनी चाहिए
इसके पीछे हाथ धोकर
पड़ गये तो
यह कहीं फिर
मित्र कम, शत्रु अधिक न
बन जाये
आकांक्षाओं की फेहरिस्त
बहुत लंबी नहीं होनी चाहिए
कोई आकांक्षा पूर्ण हो तो
संतुष्टि भी होनी चाहिए
खुद की आकांक्षाओं का
बोझ दूसरों पर न लादें
कोशिश करें कि
खुद का जीवन है
खुद के सपने हैं
खुद की आकांक्षायें हैं तो
खुद ही उन्हें पूरा करने की
जिम्मेदारी भी लें
आकांक्षाओं के भंवर में
खुद को इतना न फंसा
लें कि
अंततः कुछ भी हाथ न
लगे
अपना सब कुछ दांव पर
लगा बैठें और
उसे गवा दें
अपनों को खो दें
अपना बेशकीमती समय,
पैसा, ताकत आदि
सब इसमें झोंक दें और
बाद में पछताते रह जायें
आकांक्षाओं को भी बड़ी
समझदारी से चुनें और
जो अधिक महत्वपूर्ण हों
उन्हीं को प्राथमिकता देते हुए
उनकी प्राप्ति के साधनों को
भी ध्यान में रखते हुए
उन पर कार्य आरंभ करें
और
कहीं उनको प्राप्त न भी
कर पायें तो
निराश न हों और
फिर से प्रयास करें।