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खत

एक खत ही है

जिससे छलकता है

किसी का प्यार और विश्वास

कोई किसी को चाहता होगा तभी

उसे खत लिखने के लिए

समय निकालता होगा

अपने दिल में उतर रहे

अहसासों को

लफ्जों के मोतियों से

प्रेम के धागे में

एक एक करके पीरोता होगा

जो कहना चाहता है

उसे पूरे मनोयोग से कहकर

खत को लिफाफे में रखता होगा

उस पर फिर जिस किसी तक पहुंचाना है

उसका पता लिखता होगा

उस तक वह सही सलामत

पहुंच जाये और

क्या हो उसकी प्रतिक्रिया

यह इंतजार भी बेसब्री से

करता होगा

खत लिखते समय

कोई प्रत्यक्ष रूप से सामने नहीं होता

उसकी छवि आंखों के सामने लेकिन

तैर रही होती

हरदम

उसके साथ बिताये पल

एक एक करके मस्तिष्क पटल पर

इधर उधर भागने दौड़ने लगते

खत लिखने में कोई टोका टाकी

किसी का हस्तक्षेप

किसी का प्रभाव नहीं होता

यही एक ऐसा माध्यम जिसमें

कोई दिल खोलकर अपने मन के

भावों को सामने रख पाने की हिम्मत

जुटा पाता है

खत का जवाब भी गर

मन मुताबिक हो तो

फिर कहने ही क्या

गर न हो कभी कभार तो

फिर से थोड़ा सा सुधार करके

अगले खत को

एक नये सिरे से लिखने की

कोशिश बेशक की जा सकती है।