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हे कबीरा यह जग सूना तेरे बिना

हे कबीरा

यह जग सूना तेरे बिना

मेरे मन की वीणा रोये

तेरे बिना

तुम न भी हो पाओ

कहीं इस धरती पर पुनः अवतरित

तब भी तुम्हारी देह की

अनुपस्थिति में

तुम्हारी आत्मा के तार

तुम्हारी कहीं प्रेरक और

ज्ञानवर्धक बातों के माध्यम से

किसी के भी दिल की धड़कनों की तारों को तो अवश्य झनझनाते हैं

तुम्हारे दिखाये मार्ग पर

गर कोई बढ़ ले तो

जीवन की सच्चाइयों से रूबरू

होता हुआ

अपने जीवन को सरलता,

सहजता और सुगमता से जी ले

तुम्हारी कही हर एक बात एक

सच्चा मोती है

एक एक करके सारे मोती कहीं गर

जो पिरो लिये धागे में और

उस माला को अपने गले में पहनकर

उन अनमोल वचनों का

अनुसरण कर लिया तो

जीवन हो जायेगा धन्य

वाणी में मिठास हो

जगत का उद्धार करने की

हे मानव!

तेरे हृदय में जो प्यास हो

अभियान की मोहर की

तेरे शरीर के किसी अंग पर

न छाप हो

मन तेरा हो एक विशाल

मंदिर सा

संत कबीर सा ही बहुत नहीं तो

थोड़ा महान तो

सफल हो जाये तेरा जीवन और

साथ ही इस जग का भी

कल्याण हो।