दर्द का गुबार उठता रहा
एक तरफ
हिम्मत का सिपाही
सिर पर कफन बांधकर
अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए
अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए
जिंदगी को पीछे छोड़ता
मौत की डगर पर
निर्भीकता से
जिंदादिली से
पूरे जोश से
पूरे होश में
आगे बढ़ता रहा
न पीछे मुड़कर देखता है
बस आगे बढ़ता है
दुश्मन पर भारी पड़ता है
अपने देश की सीमाओं की हिफाजत
करता है
दिल में प्यार होता है
अपने देश का हर वासी
उसका परिवार होता है
उसकी जान होता है
खुद को
खुद के सपनों को
वह कुर्बान करना जानता है
दूसरों के लिए जीना क्या होता है
इस खुशी का राज वह जानता है
अपने परिवार
अपनी खुशियों को वह
हमेशा के लिए भुला देता है
सहर्ष अपनी मातृभूमि के चरणों में
खुद को वह अर्पित कर देता है
वह दोस्त होता है खुद का
सबका
दोस्ती के रिश्ते में वह वफा को
निभाता है
सबको साथ लेकर
उनका कारवां आगे बढ़ता है
जो पीछे छूटता जाता है
उसकी यादों को वहीं छोड़कर
उनका अपनी मंजिल को
पाने का सिलसिला फिर
आगे की तरफ बढ़ जाता है।