हर रिश्ता मतलब का है
हर रिश्ता कांच से बने दिल को
तोड़ता हुआ
एक पत्थर की शिला सा है
हर रिश्ता एक पहाड़ सा
अडिग और कठोर है
कहीं किसी गीली मिट्टी सा नरम नहीं
कोई बीज प्यार का बो भी लिया
किसी पथरीली जमीन पर
तो उसमें कोपल कहां से फूटे
वह कभी एक हरा भरा पौधा या
एक वयस्क पेड़
फल, फूल और पत्तों से लदा
बनेगा
यह तो कोई भूल ही जा़ये
वह तो एक रेगिस्तान में
सीना तानकर खड़ा
नागफनी भी नहीं बन पायेगा
जिसने प्यार नहीं किया या प्यार नहीं पाया
वह तो इस संसार में एक बहुत बड़ी कीमत चुकायेगा
बिना बात ही तड़प तड़प कर एक दिन
बिन प्रेम की बरसात के मर जायेगा।