हर रात के बाद
जो नया सवेरा हो
मैं तो यही दुआ करुंगी कि
वह मेरे लिए और
हर किसी के लिए
रंगों भरा
खुशियों भरा
फूलों की खुशबुओं से भरा हो
सूरज जो निकले तो
उसकी पहली किरण
मन में एक उम्मीद जगाये
कोयल जो कूके तो
मन में
जीने की एक लहर
भर जाये
पंछी जो आकाश में
उड़ते दिखें तो
मन का पंछी भी
पंख फैलाकर
जहां जगह मिले
वहां उड़ने को बेताब हो जाये
आशा की लड़ी
अपनी अंगुलियों की पोरों में थामें
हर सुबह
एक सपनों की पतंग उड़ाती ही
कोई डोर हो
ऐसी उम्मीदों के सुनहरे रंगों में ही
रंगी हर किसी की भोर हो
नया सवेरा हो
नई उमंग हो
नई तरंग हो
मन मस्त मलंग हो
यह एक ऐसा सुख का सवेरा हो कि
फिर किसी के जीवन में न कभी
दुख भरा कोई अंधेरा हो।