हर्ष होता है मुझे
खुद को एक दर्पण में देखकर कि
आज की विपरीत परिस्थितियों के
रहते भी
मैं खुश हूं
मुस्कुरा रही हूं
गम की कोई लकीर माथे पर नहीं
हूर सी एक नूर का अंबार बरसा रही हूं
एक जीत की खुशी का जश्न मना रही हूं
तोड़ने की कोशिश हर कोई करता है बहुत पर
सारी विपदाओं को पीछे छोड़
उन पर विजय पाती
कहीं से न हारती
अपने को प्रेरित करती
अपने को शाबाशी देती
अपने को प्रोत्साहित करती
अपने को सफलता का पुरस्कार देती
अपने को ही आगे बढ़ाती
जो कुछ जीवन में है उसे स्वीकारती
कहीं से न रोती न चीखती चिल्लाती
न किसी से कोई फरियाद करती
न किसी को अपने दुख बताती
एक अबला नहीं
एक सबला नारी हूं मैं
गौर से कोई मुझे देखे तो
हर तरह से ही कितनी प्यारी हूं मैं
एक राजकुमारी हूं मैं
एक बच्चे से ही अपने
घर के आंगन में गूंजती कोई किलकारी
हूं मैं
हर्ष का उत्सव ही हर पल मनाती
एक दबी सी पर
थोड़ा सा भड़कने की कोशिश करती हुई
एक लश्कारे मारती चिंगारी हूं मैं।