तुम कौन हो?
मैं तुम हूं और
तुम कौन?
मैं भी फिर तुम ही हूं।
एक दूसरे की
आंखों के दर्पण में
झांककर तो देखो,
हम दोनों बिल्कुल एक सी दिखती हैं।
बातें भी एक जैसी करती हैं,
पेड़ की टहनी से
आसमान की तरफ जो उड़ान भरती हैं
हैरानी की बात है ना कि वह भी एक जैसी।