स्वर्ग जैसी
कोई जगह होती है
शायद होती हो लेकिन
जब भी हम इसकी कल्पना करते हैं तो
यह कोई एक अति सुंदर जगह होगी
यही सोचते हैं
पृथ्वी लोक पर शायद हम मानव जाति जो
पीड़ा भोगते हैं
वह स्वर्ग जैसे स्थान पर ढूंढे से भी
नहीं मिलती
यहां सुख ही सुख है
खुशी है
वैभव है
दुख की
तकलीफ की
गम की कोई परछाई नहीं
स्वर्ग में विद्यमान सब वस्तुएं
चमकती दिखती होंगी
मिट्टी की परत चढ़ा या
धूमिल या धुंधला
कुछ भी नहीं
पेड़ यहां के चमकते होंगे
उन पर लगे पत्ते भी
फल भी आकार में बड़े और
चमकीले
रसीले भी
फूल भी अधिक सुगंधित
और चंदन की खुशबू
चारों दिशाओं में बिखेरते
पृथ्वी लोक पर जो इच्छाएं रह जाती
होंगी अधूरी
वह स्वर्ग में आकर हो जाती होंगी
पूरी
बहुत से अधूरे ख्वाब यहीं आकर
पूरे होते होंगे
एक रोशनी के बड़े से घेरे का सूरज
मिलता होगा और
उसके पास ही कहीं खड़े
मेरे चांद सितारे
मेरे अपने बिछड़े हुए भी
स्वर्ग लोक भी शायद
एक अलग लोक होता होगा
जहां से होती होगी
मृत्यु के पश्चात
फिर से जीवन की
एक नई शुरुआत
एक नये लेकिन
शायद बेहतर तरीके से।