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स्वयं को सम्मानित कर

हे नारी! 

तू दर्पण में अपनी छवि निहारकर 

खुद के हुनर की पहचान कर 

अपने अस्तित्व की सराहना कर 

स्वयं को सम्मानित कर। 

किसी अन्य से 

किसी प्रकार की कोई अपेक्षा 

कदापि मत कर।