मैं खुशी खुशी अपने स्कूल जाना चाहती हूं
अपने साथ के बच्चों को अक्सर मैंने
घर से स्कूल जाने पर रोता हुआ देखा है
इसका कारण साफ है कि
मेरे स्कूल का वातावरण घर जैसा है
मेरे अध्यापक अध्यापिकाओं का व्यवहार मेरे साथ
मेरे माता पिता जैसा ही है
मेरा स्कूल मेरे लिए मेरा दूसरा घर है
मेरी टीचर मुझे कभी नहीं डांटती
हमेशा प्यार करती और मुझे पुचकारती
हर प्रश्न का मेरे वह उत्तर देती
मेरी हर कठिनाई का हल वह खोजती
हमेशा मुझे प्रेरित करती
मुझे शाबाशी देती
मेरी पीठ थपथपाती
खुद भी खुश रहती
मुझे भी कभी तनाव में न आने देती
उनके चेहरे पर मैंने आज तक मायूसी और शिकन की
कोई रेखा नहीं देखी
उनकी मेहनत में मैंने आज तक कोई कमी नहीं देखी
वह भरसक प्रयत्न कर रही मुझे जीवन में
सफल बनाने का
मैं जीवन में जो मुकाम हासिल करूंगी उसमें
मेरे स्कूल और मेरी सबसे प्रिय टीचर का
एक बहुत बड़ा योगदान होगा
मैं बड़ी होकर भी कभी इन सबके
उपकारों को न भूलूंगी
हो सका तो अपने बच्चों का दाखिला इसी स्कूल में
करवाऊंगी और उन सबके साथ मिलकर स्कूल के मैदान में
खेलूंगी और झूला भी झूलूंगी।