नीले आकाश के शामियाने में
हर रोज सुबह सुबह
खुलती तो है
सूरज की पीली रंग की एक विशाल
छतरी
सर्दियों में तो यह
गर्माहट की
तपिश की और
गुनगुनी धूप की बरसात सी
कर देती है
गर्मियों के मौसम में
थोड़ा सा परेशान कर देती है
रुला देती है
पसीने में नहला देती है
हवा के एक शीतल झोंके का
कहीं से न अहसास देती है
फिर भी यह चमकीली तो
कभी सुनहरी किरणों के जाल
बिखेरती छतरी कितनी
मनमोहक है
मेरा मन तो हर लेती है
और अब तुम बताओ कि
यही हाल होता है तुम्हारा या कि नहीं।