यह पन्ना तो पहले से ही
जीवन की अनगिनत कहानियों से
भरा पड़ा है
कोई जगह भी नहीं मिल रही
इनके बीच खाली
मेरी कलम में स्याही भी नहीं
सूख गई है
किसी पेड़ की ही एक सूखी डाल की तरह
मुरझा गई है
किसी पेड़ की सूखी डाल पर ही
लटके किसी फूल की तरह
दिल में दर्द और गम का
गुबार है
दम घोटते जमे आंसुओं के
काले धुएं के छल्ले हैं
एक पत्थर की यह तो इक बंद गली
सी है
एक फूल बनकर कभी न खिलने
वाली यह तो एक मूर्छित अवस्था
में पड़ी कली सी है
मेरी राहें मुड़कर मुझे लेकर जाने
कहां जाने को कह रही हैं
वह मुझे मजबूर कर रही हैं
और समझा रही हैं कि
अपनी दास्तान किसी के सामने
बयां करना बंद कर
अपने जीवन की किताब में अपनी कहानी पर तू अब कुछ मत लिख
इसे कच्चे नहीं बल्कि
पक्के धागों से सिल दे
इसे सीलबंद कर दे
इसे हमेशा के लिए
बंद कर
अब बस बहुत हुआ
इस किताब को बंद कर।