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सहानुभूति का भाव तो

सहानुभूति का भाव तो

हर किसी के प्रति रखना चाहिए

प्रत्येक मनुष्य को इस धरती पर

एक प्राकृतिक तरीके से

प्रेम पूर्वक, मिलजुलकर और

एक दूसरे का सहयोग करते हुए जीना चाहिए

इस दुनिया से जब विदा लेंगे तो

खाली हाथ जाना है

जीवन मिला है तो

चुनौती यह है कि

इसे किस प्रकार सही प्रकार से व्यतीत करें

यह हर समय सोचकर समझते हुए

उसमें खुद को ढालते जाना है

किसी के राह की बाधा को दूर करें

न कि उसका उस रास्ते पर चलना ही

दूभर कर दें

किसी की मदद करने में

उससे दो शब्द प्यार के बोल लेने में

उसे अपनाहट देने में

कहीं कुछ बुरा नहीं है

उसके लिए भी और

खुद के लिए भी।