in

सवालों के घेरे को

दिल में

सवाल तो उठते ही रहते हैं

यह सिलसिला तो

एक लम्बे अरसे से चला आ रहा है और

चलता रहेगा लेकिन

सवाल तो यह है कि

इन सवालों में से अधिकतर के

संतोषजनक जवाब मिलते कहां हैं

सवाल किससे पूछूं

कहां से उस ज्ञानी को खोजूं

जिसके पास इन सवालों के

जवाब हों

किसी के पास आजकल समय ही

कहां है

कोई आपकी शक्ल तक तो

देखने को राजी नहीं है

सवालों को सुनने और उनके

सटीक उत्तर देने का समय

फिर वह कहां से देंगे

सवाल तो फिर खुद से ही

अक्सर पूछने पड़ते हैं

अपने जीवन की समस्याओं के

हल खुद ही ढूंढने पड़ते हैं

सवाल मन के आकाश पर

बादल से जब कभी उमड़े तो उन्हें

एक प्राकृतिक तरीके से उमड़ने देना

चाहिए

कभी रोकने का प्रयत्न नहीं करना

चाहिए

उनकी राह में बाधा को

उत्पन्न नहीं करना चाहिए

सवाल के जवाब यदि मिल

जायेंगे तो

मन में एक संतोषजनक ठहराव का

अहसास होगा और

आसमान के बादल धरती पर

बरस जायेंगे और

उसकी बरसों की प्यास को

तृप्त कर देंगे

सवालों के जवाब गर नहीं मिले तो

बादल आसमान में बने रहेंगे या

फिर उड़ जायेंगे

कुछ सवालों के जवाब लाख

तलाशने पर भी किसी स्रोत से गर

न मिल पायें तो उन्हें

प्रभु इच्छा पर छोड़ देना चाहिए

प्रभु ने जीवन दिया है

जीवन में कठिनाइयां पैदा की हैं

उनसे जुड़े सवाल खड़े किये हैं तो

उसके पास उनके जवाब भी होंगे

हमारी समस्याओं के समाधान भी होंगे

सवालों के घेरे को भी फिर

प्रभु ही तोड़ेंगे और

हमारे अस्थिर मन को

शांति प्रदान करेंगे।